64 योगिनियों के भारत में पांच प्रमुख मंदिर है।
दो ओडिशा में तथा दो मध्यप्रदेश में।
मध्यप्रदेश में एक मुरैना जिले के थाना थाना रिठौराकलां में ग्राम पंचायत मितावली में है।
इसे 'इकंतेश्वर महादेव मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। एक है जबलपुर में, इसके अलवा एक तीसरा मंदिर खजूराहो में स्थित है। 875-900 ई. के आसपास बना यह मंदिर खजुराहो के मंदिरों के पश्चिमी समूह में आता है।
एक मंदिर महाराजपुर,सागर (मध्य प्रदेश) में भी है, जहां जगदम्बा विशाल वट वृक्ष के नीचे विराजती हैं।
ओडिशा में दो है एक - हीरापुर व दूसरा - रानीपुर में ।
इसके अलावा देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी(उत्तर प्रदेश ) में देवी के दर्शन पूजन की परम्परा भी रही है। जिसमें कई देवियों की आराधना काशीवासी करते हैं। इसमें योगिनी प्रमुख हैं। काशी में चौसठ योगिनी हैं लेकिन वर्तमान में कुछ योगीनियों के स्थान ज्ञात हैं। काशी में गजानना, हयग्रीवा, वाराही, मयूरी, विकटानना, विकट लोचना, काली, उर्ध्वद्रिका, शुकिका, तापिनी/तारा, शोषणदृष्टि, अट्टहास, कामाक्षी और मृगलोचना समेत 64 योगनियां थीं। काशी की 64 योगनियों में से 60 का सथान चौसट्टी घाट स्थित राणा महल में है। जहां वर्तमान में मात्र 5 योगिनियों की मूर्तियां ही शेष बची हैं। ‘वाराही’ योगिनी का स्थान काशी में मीर घाट पर है। भक्त यहां हर समय दर्शन-पूजन करने आते हैं। ‘मयूरी’ का मंदिर लक्ष्मीकुण्ड पर स्थित है। ‘शुकिका’ का मंदिर डौड़ियावीर स्थान पर है। ‘कामाक्षी’ योगिनी का मंदिर कमच्छा मुहल्ले में स्थित हैं।
उत्तर प्रदेश में ही दुधाई में भी प्राचीन योगिनी मंदिर स्थित है पर काफी टूट फुट (खंडहर)स्वरुप में शेष।-
कांचीपुरम, तमिलनाडु में भी कैलासनाथ (या राजसिमेश्वर) पूरे भारत में सबसे बड़े और सबसे अलंकृत प्राचीन मंदिरों में से एक है। यंही अन्य इमारतों में कई छोटे पल्लव मंदिर शामिल हैं जिनमें वारादराजा मंदिर जिसमें योगिनियों के कई उत्कृष्ट स्वरुप बच गए हैं।
दो ओडिशा में तथा दो मध्यप्रदेश में।
मध्यप्रदेश में एक मुरैना जिले के थाना थाना रिठौराकलां में ग्राम पंचायत मितावली में है।
इसे 'इकंतेश्वर महादेव मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। एक है जबलपुर में, इसके अलवा एक तीसरा मंदिर खजूराहो में स्थित है। 875-900 ई. के आसपास बना यह मंदिर खजुराहो के मंदिरों के पश्चिमी समूह में आता है।
एक मंदिर महाराजपुर,सागर (मध्य प्रदेश) में भी है, जहां जगदम्बा विशाल वट वृक्ष के नीचे विराजती हैं।
ओडिशा में दो है एक - हीरापुर व दूसरा - रानीपुर में ।
इसके अलावा देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी(उत्तर प्रदेश ) में देवी के दर्शन पूजन की परम्परा भी रही है। जिसमें कई देवियों की आराधना काशीवासी करते हैं। इसमें योगिनी प्रमुख हैं। काशी में चौसठ योगिनी हैं लेकिन वर्तमान में कुछ योगीनियों के स्थान ज्ञात हैं। काशी में गजानना, हयग्रीवा, वाराही, मयूरी, विकटानना, विकट लोचना, काली, उर्ध्वद्रिका, शुकिका, तापिनी/तारा, शोषणदृष्टि, अट्टहास, कामाक्षी और मृगलोचना समेत 64 योगनियां थीं। काशी की 64 योगनियों में से 60 का सथान चौसट्टी घाट स्थित राणा महल में है। जहां वर्तमान में मात्र 5 योगिनियों की मूर्तियां ही शेष बची हैं। ‘वाराही’ योगिनी का स्थान काशी में मीर घाट पर है। भक्त यहां हर समय दर्शन-पूजन करने आते हैं। ‘मयूरी’ का मंदिर लक्ष्मीकुण्ड पर स्थित है। ‘शुकिका’ का मंदिर डौड़ियावीर स्थान पर है। ‘कामाक्षी’ योगिनी का मंदिर कमच्छा मुहल्ले में स्थित हैं।
उत्तर प्रदेश में ही दुधाई में भी प्राचीन योगिनी मंदिर स्थित है पर काफी टूट फुट (खंडहर)स्वरुप में शेष।-
कांचीपुरम, तमिलनाडु में भी कैलासनाथ (या राजसिमेश्वर) पूरे भारत में सबसे बड़े और सबसे अलंकृत प्राचीन मंदिरों में से एक है। यंही अन्य इमारतों में कई छोटे पल्लव मंदिर शामिल हैं जिनमें वारादराजा मंदिर जिसमें योगिनियों के कई उत्कृष्ट स्वरुप बच गए हैं।
इस वीडियो में आप उक्त मंदिरों का विस्तार से वर्णन व दर्शन लाभ ले सकते हैं।
- विदेशों में मंदिर-
साथ ही ६४ योगिनी का एक नविन मंदिर न्यूजिलेंड में भी बना है व एक मंदिर कोलम्बिया में भी पाया गया है।
आपने अष्ट या चौंसठ योगिनियों के बारे में सुना होगा। कुछ लोग तो इनके बारे में जानते भी होंगे। दरअसल ये सभी आदिशक्ति मां काली का अवतार है। घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये अवतार लिए थे। यह भी माना जाता है कि ये सभी माता पार्वती की सखियां हैं। इन चौंसठ देवियों में से दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं की भी गणना की जाती है। ये सभी आद्या शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतारी अंश हैं। कुछ लोग कहते हैं कि समस्त योगिनियों का संबंध मुख्यतः काली कुल से हैं और ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं।
ॐ ,योगिनी यह शब्द प्राचीन शास्त्रों से प्रचलित है और कहा जाता है जब तक योगिनी की कृपा साधक पर ना हो तब तक उसको साधना मे शीघ्र सफलता प्राप्त नही होती है.
,
इसके पीछे का एक कारण बताना चाहता हूँ , हमारे तंत्र मे चौसंठ योगिनी है जो शिव जी के सेवा मे होती है और जब भी कोई साधक साधना मे होता है तो योगिनियाँ उसकी साधना को खंडित करती है.
जैसे साधक के मन मे साधना के समय विचार आते रहते है, उसको निंद आती है,
वह ध्यान नही लगा पाता,
कभी उसको आलस्य आता है
तो कभी प्यास लगती है या लघू-दीर्घ शंका आती है,
.....बहुत सारे विघ्न उसकी साधना मे आते है
और इन विघ्नो का कारण योगिनियाँ है
जिन्हे शिव जी से वरदान प्राप्त है,
"प्रत्येक साधक को मदद करने हेतु,
जब तक वह साधक से प्रसन्न नही होती तब तक वह अपने इच्छानुसार साधक को फल नहीं देगी".
जब योगिनियाँ साधक पर प्रसन्न होती है तो उसके मंत्रो को मंत्रदेवता तक पहूंचा देती है ,
और
उसके कार्यो मे आनेवाले विघ्नो का निवारण कर देती है.
प्राचीन शिवमंदिरो मे आज भी योगिनियो के विग्रह देखने मिलते है क्यूकी वहा योगिनियाँ भक्तो के साथ-साथ मंदिर की भी सुरक्षा करती रहती है.
चौसंठ योगिनियो मे
मंत्र योगिनी,
दिव्य योगिनी ,
सिद्धी योगिनी,
धन योगिनी
इस प्रकार की योगिनीयाँ है जो साधक को सिद्धी के साथ सभी कार्यो मे पूर्ण सफलता प्रदान करती है.
बिना योगिनी कृपा के साधना मे सफलता प्राप्त करना कठीन कार्य है.
समस्त योगिनियां अलौकिक शक्तिओं से सम्पन्न हैं तथा सारे मायावी कर्म इन्हीं की कृपा द्वारा ही सफल हो पाते हैं। प्रमुख रूप से आठ योगिनियां हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं:-
1.सुर-सुंदरी योगिनी, 2.मनोहरा योगिनी, 3. कनकवती योगिनी, 4.कामेश्वरी योगिनी, 5. रति सुंदरी योगिनी, 6. पद्मिनी योगिनी, 7. नतिनी योगिनी और 8. मधुमती योगिनी।
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1.सुर-सुंदरी योगिनी, 2.मनोहरा योगिनी, 3. कनकवती योगिनी, 4.कामेश्वरी योगिनी, 5. रति सुंदरी योगिनी, 6. पद्मिनी योगिनी, 7. नतिनी योगिनी और 8. मधुमती योगिनी।
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-: चौंसठ योगिनियों के नाम व दर्शन :-
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1.बहुरूप
1.बहुरूप
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2.तारा
2.तारा
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3.नर्मदा
3.नर्मदा
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4.यमुना
4.यमुना
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5.शांति
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6.वारुणी
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7.क्षेमंकरी
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8.ऐन्द्री
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9.वाराही
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10.रणवीरा
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11.वानर-मुखी
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12.वैष्णवी
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13.कालरात्रि
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14.वैद्यरूपा
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15.चर्चिका
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16.बेतली
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17.छिन्नमस्तिका
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18.वृषवाहन
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19.ज्वाला कामिनी
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20.घटवार
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21.कराकाली
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22.सरस्वती
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23.बिरूपा
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24.कौवेरी
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25.भलुका
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26.नारसिंही
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27.बिरजा
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28.विकतांना
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29.महालक्ष्मी
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30.कौमारी
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31.महामाया
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32.रति
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33.करकरी
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34.सर्पश्या
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35.यक्षिणी
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36.विनायकी
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37.विंध्यवासिनी
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38. वीर कुमारी
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39. माहेश्वरी
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40.अम्बिका
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41.कामिनी
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42.घटाबरी
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43.स्तुती
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44.काली
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45.उमा
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46.नारायणी
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47.समुद्र
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48.ब्रह्मिनी
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49.ज्वाला मुखी
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50.आग्नेयी
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51.अदिति
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52.चन्द्रकान्ति
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53.वायुवेगा
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54.चामुण्डा
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55.मूरति
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56.गंगा
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57.धूमावती
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58.गांधार
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59.सर्व मंगला
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60.अजिता
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61.सूर्यपुत्री
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62.वायु वीणा
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63.अघोर
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64. भद्रकाली।
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5.शांति
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6.वारुणी
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7.क्षेमंकरी
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8.ऐन्द्री
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9.वाराही
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10.रणवीरा
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11.वानर-मुखी
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12.वैष्णवी
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13.कालरात्रि
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14.वैद्यरूपा
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15.चर्चिका
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16.बेतली
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17.छिन्नमस्तिका
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18.वृषवाहन
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19.ज्वाला कामिनी
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20.घटवार
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21.कराकाली
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22.सरस्वती
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23.बिरूपा
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24.कौवेरी
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25.भलुका
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26.नारसिंही
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27.बिरजा
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28.विकतांना
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29.महालक्ष्मी
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30.कौमारी
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31.महामाया
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32.रति
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33.करकरी
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34.सर्पश्या
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35.यक्षिणी
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36.विनायकी
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37.विंध्यवासिनी
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38. वीर कुमारी
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39. माहेश्वरी
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40.अम्बिका
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41.कामिनी
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42.घटाबरी
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43.स्तुती
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44.काली
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45.उमा
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46.नारायणी
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47.समुद्र
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48.ब्रह्मिनी
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49.ज्वाला मुखी
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50.आग्नेयी
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51.अदिति
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52.चन्द्रकान्ति
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53.वायुवेगा
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54.चामुण्डा
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55.मूरति
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56.गंगा
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57.धूमावती
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58.गांधार
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59.सर्व मंगला
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60.अजिता
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61.सूर्यपुत्री
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62.वायु वीणा
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63.अघोर
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64. भद्रकाली।
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Best ,good job
ReplyDeleteNamaste Yogesh. I am looking at your artistic repair work of the 64 Yoginis and am impressed! Greetings from Cologne (Köln) Germany, Shahrazad
ReplyDeleteयोगेशजी अतिशय सुंदर माहिती आपण उपलब्ध करून दिली त्याबद्दल आपले मनःपूर्वक आभार.
ReplyDeleteExcellent work
ReplyDeleteExcellent experience
ReplyDeleteHii yogesh,impressive work.
ReplyDeleteIf you have free time so please can you connect with me,093799 62969
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